चिराग-सात्विक ने इंडोनेशियाई जोड़ी को हराकर जीता मेंस डबल्स में स्वर्ण, नया इतिहास रचा

चिराग शेट्टी और सात्विक साईराज रैंकीरेड्डी की जोड़ी ने शुक्रवार रात एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। इस जोड़ी ने 52 साल के बाद भारत के लिए इस टूर्नामेंट में मेंस डबल्स कैटेगरी में मेडल जीता है, जो 1971 के बाद से पहली बार हुआ है।
1971 में जकार्ता में भारत की दीपू घोष और रमन घोष जैसी जोड़ी ने मेंस डबल्स कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीता
था। इससे पहले भारत ने इस कैटेगरी में कोई मेडल नहीं जीता था।
दुबई में आयोजित प्रतियोगिता में चिराग शेट्टी और सात्विक साईराज रैंकीरेड्डी की जोड़ी ने क्वार्टर फाइनल में इंडोनेशिया के मोहम्मद अहसान और हेंड्रा सेतियावान की जोड़ी को सीधे दो सेटों में हराकर उन्हें सेमीफाइनल में प्रवेश कर लिया। चिराग-सात्विक ने इस मुकाबले में 21-11, 21-12 से विजय हासिल की। इससे पहले इंडोनेशियाई जोड़ी ने भारत की पूर्व ओलिंपियन
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जोड़ी शरदा सिन्हा और सिक्की रेड्डी को हराकर क्वार्टरफाइनल में प्रवेश किया था। इस जीत के बाद दोनों भारतीय शटलर्स ने मेडल पक्का कर लिया है। विशेष बात यह है कि बैडमिंटन के तमाम टूर्नामेंट में सेमीफाइनलिस्ट को हर कैटेगरी ब्रॉन्ज मेडल दिया जाता है, जो ओलिंपिक के अलावा अन्य टूर्नामेंटों में भी मान्य होता है। इसलिए, अगर भारतीय शटलर्स सेमीफाइनल में हार जाते हैं तो भी उन्हें ब्रॉन्ज मेडल
मिल जाएगा।
पीवी सिंधु और एचएस प्रणौय ने दुबई मास्टर्स बैडमिंटन टूर्नामेंट में सिंगल्स कैटेगरी में खेले गए क्वार्टर फाइनल मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा। साथ ही मिक्स्ड डबल्स में भी भारतीय जोड़ी रोहन कपूर और सिक्की रेड्डी ने हार के बाद टूर्नामेंट से बाहर हो गए। इसके बाद देशवासियों की आशाएं डूबने लगी थीं। लेकिन हमारे शानदार शटलर्स ने भारत को दुबई में मेडल जीतकर गर्वित कराया है।