Pak विदेश मंत्री बिलावल जरदारी का POK दौरा: कश्मीर में गतिरोध और भारत के खिलाफ बढ़ती चुनौतियाँ

गतिरोध और भारत के खिलाफ चुनौतियाँ बढ़ती जर रही हैं, जब पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल जरदारी ने अपने तारीख़ाने को बागीसार करके POK (अखिल भारतीय राष्ट्रीय कर्तव्य विभाग) में कदम रखा। यह भ्रमक पर्दे के पीछे क्या कुछ घट रहा है? क्या यह कश्मीर में बढ़ते गतिरोध को और भारत के खिलाफ चुनौतियों को बढ़ावा देने का एक चाल है? इसके पीछे की वजह क्या हो सकती है?
कश्मीर में तीसरी जी-20 टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की बैठक के दौरान, पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल जरदारी ने अपनी हाजिरी नहीं दी है। यह पाकिस्तान द्वारा दर्शाए जा रहे संकेतों का सबूत है कि
वह इस बैठक में भाग लेने के खिलाफ हैं। इसके बजाय, उन्होंने श्रीनगर से 100 किलोमीटर दूर स्थित POK में अपना ध्यान केंद्रित किया है। उनकी उपस्थिति और उनके बयानों से स्पष्ट होता है कि उनका उद्देश्य भारत के खिलाफ जहर उगलना और गतिरोध को बढ़ावा देना है।
संकट का मुख्य कारण है कश्मीर में सन् 2019 में धारा 370 को हटाने के बाद से पाकिस्तान में हो रही अस्थिरता। धारा 370 के हटाने के बाद से भारत ने कश्मीर के अंतरिम स्थान को अपनी विशेषता के रूप में गणित किया है, जो पाकिस्तान और कश्मीरी नेताओं को नाराज़ कर रहा है। पाकिस्तान
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को यह समझना चाहिए कि भारत का इस क्षेत्र में अपने राजनीतिक और सुरक्षा मुद्दों पर नियंत्रण बनाने का प्रयास केवल देश की अव्यवस्था को और गंभीर कर सकता है।
बिलावल भुट्टो अपनी इस यात्रा के माध्यम से कश्मीर में होने वाली तीसरी जी-20 बैठक को असफल बनाना चाहते हैं। वे इसे भारत के खिलाफ एक महत्वपूर्ण विरोधी कदम के रूप में देख रहे हैं। उनके लिए इसमें चीन का भी भरपूर समर्थन है। चीन ने बैठक में शामिल होने से किनारा किया है और इसे आपत्तिजनक स्थिति माना है, जो विवादित क्षेत्र में होने वाली इस बैठक के खिलाफ दुनिया को दिखाने
का प्रयास है।
इसके अलावा, बिलावल जरदारी ने POK में कदम रखने के बाद भारत के खिलाफ भी बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का उल्लंघन करके दुनिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाना संभव नहीं है। इससे पाकिस्तान भारत के खिलाफ आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा क्षेत्र में और वृद्धि करेगा।
इस प्रकार, बिलावल जरदारी के POK दौरे का उद्देश्य वास्तव में उनके राजनीतिक और भारत के खिलाफ उठ रहे मुद्दों को मजबूत करना है। यह चेतावनी के साथ आता है कि कश्मीर में तनाव बढ़ सकता है और भारत-पाकिस्तान रिश्तों को और ज्यादा प्रभावित कर सकता है।